कई दफा मैंने ही उसकी आंखो में अनजाने में आंसू फिर से दिए , उसकी मुस्कुराहटों से मुझे खुशी होती थी मगर उसकी आंखो में आंसू दे कर मेरा दिल भी रोता था , जा रही थी वो मेरे से दूर मगर पास मेरे थी वो , नजाने क्यू मेरे लिए इतना रोती थी वो , प्यार उसे भी इतना था दूर होने से डरती थी वो , कुछ कहने से भी मुझको उसे डर लगता था , कहीं टूट ना जाए ये दोस्ती का भी रिश्ता , दिल में ही अपनी सारी मुहब्बत रखी थी वो , जिस डर से मैंने उसे खुद से दूर करना चाहता था वो इश्क़ तोह मुझे कब का होगया था , जब भी उसे मैंने अपने शब्दो के दर्द दिए तकलीफ मुझे भी होता था , फर्क बस ये है वो अपने आसुओ से दिल हल्का कर लेती थी और मै उसे अपने ही दिल में रखता था , केह तोह देता था उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मगर वो तोह मेरा दिल ही जानता है , कितना तकलीफ होता था , चाहता था उसकी जो मोहब्बत है मेरे लिए वो ख़तम हाेजाए , मगर हरबार मै असफल होता था , उसे खुशियां ढेरो मिले भगवान से बस यही कहता था मगर , उस पागल ने भी बस यही ठान रखा था अगर जो ज़िन्दगी मेरी जिसके नाम होगी वो नाम मेरा ही होगा , कई दफा लगा मै भी
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