PART-1
चलो आज मै कुछ आप से बतलाता हूं,
कोई कैसे मेरा अपना बन गया आज आपसे बतलाता हूं,
जो आज मेरी जिंदगी है उससे पहली मुलाकात बतलाता हूं,
चलो आज मै कुछ आप से बतलाता हूं,
बढ़ी ही नादान सी है वो,
रहती थी गुमनाम सी वो,
नहीं रहता था उसका किसी रिश्ते से मतलब,
ना ही कोई दोस्ती यारी से
मतलब,
मै मिला भी उससे जब लगी बड़ी ही उदास सी वो,
मुझे नहीं लगता था अच्छा उसका यू खामोश रहना,
ना जाने क्यों,
तोह शुरुवात हुई उसका मेरा लड़ना और झगड़ना जैसे हो कोई पुराना
रिश्ता हमारा ऐसे उसका मुझ पे अपना हक दिखाना,
मेरे लिए नज़रे बिछाए रखती थी वो,
मेरे आते ही मुस्कुरा उठती थी वो ना जाने क्यूं उसे क्या मिल जाता था,
चुप चाप मेरे बातो को सुनती रहती थी वो,
कोई अगर मुझे बुला ले तोह
बोहोत गुस्सा करती थी वो,
जैसे किसी छोटे बच्चे से कोई खिलौना छीन लिया हो,
उसकी उदासी को खुशियों में बदल के बोहोत ख़ुशी मिलती थी जान बूझ कर
उसकी हर बद माशियो को मै सुनता था,
उसके नखरे भी ऐसे होते थे जैसे छोटे बच्चे को कोई अपना मिल गया,
उसकी नज़रों में मैंने कितना प्यार खुद के लिए देखा था,
डरता था उससे कहीं मुझे भी कोई लगाव ना लग जाए लेकिन फिर भी उसकी
फ़िक्र किया करता था,
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