कई दफा मैंने ही उसकी आंखो में अनजाने में आंसू फिर से दिए,
उसकी मुस्कुराहटों से मुझे खुशी होती थी मगर उसकी आंखो में आंसू दे
कर मेरा दिल भी रोता था,
जा रही थी वो मेरे से दूर मगर पास मेरे थी वो, नजाने क्यू मेरे लिए इतना रोती थी वो, प्यार
उसे भी इतना था दूर होने से डरती थी वो, कुछ
कहने से भी मुझको उसे डर लगता था,
कहीं टूट ना जाए ये दोस्ती का भी रिश्ता, दिल
में ही अपनी सारी मुहब्बत रखी थी वो,
जिस डर से मैंने उसे खुद से दूर करना चाहता था वो इश्क़ तोह मुझे कब
का होगया था,
जब भी उसे मैंने अपने शब्दो के दर्द दिए तकलीफ मुझे भी होता था,
फर्क बस ये है वो अपने आसुओ
से दिल हल्का कर लेती थी और मै उसे अपने ही दिल में रखता था,
केह तोह देता था उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मगर वो तोह मेरा दिल
ही जानता है,
कितना तकलीफ होता था,
चाहता था उसकी जो मोहब्बत है मेरे लिए वो ख़तम हाेजाए,
मगर हरबार मै असफल होता था,
उसे खुशियां ढेरो मिले भगवान से बस यही कहता था मगर,
उस पागल ने भी बस यही ठान रखा था अगर जो ज़िन्दगी मेरी जिसके नाम
होगी वो नाम मेरा ही होगा,
कई दफा लगा मै भी केहदू उससे जो दिल में तुम्हारे मेरे लिए है वहीं
इस दिल में भी छुपा रखा है,
खुद को कितना रोका मैंने कितना खुद को समझाया,
कई दफा जब उसकी कोई खबर ना मिलती थी ना जाने क्यों दिल बोहोत घबराता
था,
ठीक है वो कैसी है,
क्या उसने खाना खाया,
भले उसको शब्दो से करदेता था खुद से दूर,
मगर असलीयत में खुद से दूर नहीं कर पाया,
आखिर कितना उसको मै और रुलाता और कितना मै उसके बिन तड़पता रहता,
नहीं रहा गया आखिर कह दिया हाले दिल की बात,
उसके चेहरे पे जैसे कितने दिनों बाद आयी हो इतनी प्यारी मुस्कान,
जान है वो मेरी, मेरा बच्चा है
वो,
मुझे आज भी याद है मेरे चुप होने पे कितना तड़पती थी वो,
कोई खबर ना मिलने पे रातों को सिसकती थी वो,
कई दफा चाहा उसने अपने दिल का हाल बताना,
मै जान के भी अनजान बनता था,
शायद उसके प्यार से डरता था,
उसका मैसेज भेज के डिलीट करना ये सोच के मुझे मुझे जैसे कुछ पता ना
चला हो,
कई बार इशारों में मुझसे बोलना उसका के मेरे रहते किसी और की क्या
जरूरत है,
मुझे अक्सर याद आता है उसका मुझे बंदर बोल के चिढ़ाना,
याद है मुझे हमेशा बातो को इतना खिचना जान बुझ के ताकि मेरी बाते सुन
सके,
आज जब भी आंखे बंद करता हूं दिखता है मुझे वहीं मासूम चेहरा उसका,
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Lablu ji
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