वह रोज़ उसकी यादों में खोया रहता था। जब भी आँखें बंद करता, तो सिर्फ उसकी मुस्कान और हँसी उसके सामने आती थी। उसके दिल में सिर्फ उसकी यादों का ही एक अलग ही जहां बसा हुआ था। वो आज भी उसे बहुत याद करता था। उनकी मुलाकात का पहला पल, उनकी हंसी, उनकी बातें, सब कुछ। उनके बिना जीना मुश्किल था, लेकिन वो उनकी यादों के साथ जी रहा था। उस रात, जैसे हर रात, उसने उनकी फोटो को देखा। उसकी आँखों में आंसू थे, मगर उसके दिल में उनके ख़्वाबों की एक आग जली थी। फिर उसने सोचा, क्यों न उसे फिर से देखने के लिए कोशिश की जाए? शायद किस्मत उसके साथ इस बार मेहरबान हो जाए। वह अगले दिन उनकी यादों के साथ अपने क़दमों को सांचें रखता हुआ चला। उसने उनकी यादों को अपने साथ लिए, और उसकी आँखों में एक नई उम्मीद का सफर शुरू हुआ। क्या वह किस्मत से मिल पाएगा? या फिर, उसकी यादें ही रह जाएंगी, उसकी तन्हाई के साथ?
कई दफा मैंने ही उसकी आंखो में अनजाने में आंसू फिर से दिए , उसकी मुस्कुराहटों से मुझे खुशी होती थी मगर उसकी आंखो में आंसू दे कर मेरा दिल भी रोता था , जा रही थी वो मेरे से दूर मगर पास मेरे थी वो , नजाने क्यू मेरे लिए इतना रोती थी वो , प्यार उसे भी इतना था दूर होने से डरती थी वो , कुछ कहने से भी मुझको उसे डर लगता था , कहीं टूट ना जाए ये दोस्ती का भी रिश्ता , दिल में ही अपनी सारी मुहब्बत रखी थी वो , जिस डर से मैंने उसे खुद से दूर करना चाहता था वो इश्क़ तोह मुझे कब का होगया था , जब भी उसे मैंने अपने शब्दो के दर्द दिए तकलीफ मुझे भी होता था , फर्क बस ये है वो अपने आसुओ से दिल हल्का कर लेती थी और मै उसे अपने ही दिल में रखता था , केह तोह देता था उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मगर वो तोह मेरा दिल ही जानता है , कितना तकलीफ होता था , चाहता था उसकी जो मोहब्बत है मेरे लिए वो ख़तम हाेजाए , मगर हरबार मै असफल होता था , उसे खुशियां ढेरो मिले भगवान से बस यही कहता था मगर , उस पागल ने भी बस यही ठान रखा था अगर जो ज़िन्दगी मेरी जिसके नाम होगी वो नाम मेरा ही होगा , कई दफा लगा मै...