बोहोत सिखलादिया इस वक़्त ने हमें इन दिनों दर्द क्या होता है,
किसी भी वस्तु, वायक्ती और समय की क्या किमत है,
कोई दूर है,
तोह कोई पास है अपनों के इस वक़्त ने सब सिखला दिया,
धैर्य की परीक्षा ले रहा ये वक़्त है,
जो दुनिया का सच दिखला राहा है,
मानव त्राहि माम कर रहा क्यो की उजड़ रहा उसका अभिमान है,
ख़तम हो रहा उसकी घमंड का ये राज्य है,
कौन कितना देश भक्त है और कौन कितना दिखावटी सब के चरित्र का चल रहा एक राग है,
ये वक़्त दिखला रहा सच का एक मात्र भाग है,
छुपे चेहरों से उतार रहा झूट का नकाब है,
ये वक़्त दिखला रहा हमें अपने जीवन का आने वाला विकास है.....!!!
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